केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को आधिकारिक रूप से वन स्कूल वन आईएएस कार्यक्रम शुरू किया, जो गरीब मेधावी छात्रों के लिए यूपीएससी सिविल सेवा या आईएएस परीक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग प्रदान करेगा।
27 वर्षीय पूजा का कहना है कि उनकी माँ ने उन्हें सपोर्ट करने के लिए उनके साथ-साथ इस परीक्षा की हर किताब पढ़ी। वह उनके आंसर चेक करती और परीक्षा की तैयारी में मदद करती थीं। पूजा अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को देती हैं।
नारायणपेट की कलेक्टर हरि चांदना दसारी को प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री लोक प्रशासन उत्कृष्टता 2020 पुरस्कार के लिए चुना गया है। 2010 बैच की इन IAS अफसर को एक ऐसे अधिकारी के रूप में जाना जाता है जो अपने काम के साथ रचनात्मकता का मिश्रण कर समाज में प्रभावशाली सुधार ला रहीं हैं।
UPSC सिविल सेवा 2019 की परीक्षा में 23वीं रैंक हासिल करने वाली निधि बंसल ने यह सफलता अपने 5वें प्रयास में हासिल की है। जानें UPSC Mains परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए उनके टिप्स और सुझाव।
मधुबनी के रहने वाले मुकुंद कुमार झा ने बिना कोचिंग का सहारा लिए केवल 22 साल की उम्र में वो कर दिखाया जिसे करने के लिए लोग सालों मेहनत करते हैं। पहले ही प्रयास में IAS बनने वाले मुकुंद ने यह सफलता अपनी मेहनत और लगन से ही हासिल की है।
केरल की अस्वथि श्रीनिवास पेशे से एक MBBS डॉक्टर हैं हालांकि सामाजिक विज्ञान में उनकी रुचि उन्हें UPSC सिविल सेवा तक ले आई। परिवार और पति के सपोर्ट से निरंतर मेहनत के बाद उन्होंने UPSC सिविल सेवा 2019 में 40वीं रैंक हासिल की है।
यदि आप UPSC (आईएएस) प्रीलिम्स की तैयारी कर रहे हैं तो निश्चित ही आपने SDO और SDM की पोस्ट के बारे में सुना होगा। अक्सर इंटरव्यू में पैनल उम्मीदवारों से कुछ ऐसे ही सवाल पूछता है। हमने इस लेख में इन दोनों पदों की विशेषता और इनके अंतर को सरल रूप से समझाया है।
नितिन को 12वीं में फेल होने के डर से स्कूल वालों ने एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया था परन्तु उन्होंने अपनी मेहनत से ना केवल डॉक्टर की उपाधि हासिल की बल्कि IAS अफसर भी बनें।
नागपुर महराष्ट्र के रहने वाले सैय्यद रियाज़ ने UPSC परीक्षा में भी चार बार असफलता का सामना किया परन्तु हार नहीं मानी। निरंतर प्रयास करते रहे और 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 261वीं रैंक हासिल कर IAS बन गए।
अनुज प्रताप सिंह की एक छोटी सी गलती से ना केवल उनका एक साल बर्बाद हुआ बल्कि उन्हें मानसिक तौर पर भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। फिर भी हार ना मानते हुए अनुज तैयारी में लगे रहे और 2018 में UPSC परीक्षा पास कर अपना IAS बनने का सपना पूरा किया।
2018 के UPSC टॉपर कनिष्क कटारिया को कैंपस प्लेसमेंट में 1 करोड़ का पैकेज मिला था। उन्होंने एक साल तक यह जॉब करने के बाद भारत लौट कर देश की सेवा के लिए UPSC की परीक्षा दी और पहली ही बार में परीक्षा पास कर पहला रैंक हासिल किया।
UPSC सिविल सेवा 2018 की परीक्षा में 23वीं रैंक हासिल करने वाले ऋषब ने ना केवल परीक्षा को अच्छे अंकों से पास किया बल्कि Mains GS II परीक्षा में सबसे अधिक अंक पाने वाले उम्मीदवार भी बनें।
जिस परीक्षा को पास करने के लिए छात्र कोचिंग इंस्टिट्यूट का सहारा लेते हैं, उसे हिमाचल प्रदेश के अभिषेक वर्मा ने बिना किसी कोचिंग की मदद के दूसरे ही एटेम्पट में क्लियर किया। इस लेख में पढ़ें क्या रही उनकी तैयारी की रणनीति।
बिहार के कुमार अनुराग हमेशा से ही एक एवरेज स्टूडेंट रहे हैं परन्तु उनकी दृढ इच्छाशक्ति उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। इसी का नतीजा रहा की अनुराग ने UPSC सिविल सेवा 2018 की परीक्षा में 48वीं रैंक हासिल की।
अल्पविकसित खेतिहर मज़दूरों के बेटे गोपाल कृष्णा रोनांकी का जीवन बचपन से ही बेहद संघर्षपूर्ण रहा है लेकिन कठिन परिश्रम करके उन्होंने अपनी और अपने परिवार की परिस्थिति को बदला और UPSC सिविल सेवा 2016 की परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल की।
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