पेशेवर माता-पिता के लिए, बच्चों के साथ अच्छा समय बिताना काफी मुश्किल है. आप चाहे इसे काम का दबाव कहें या समय सीमाओं का दबाव लेकिन हर एक माता-पिता दिन के अंत में अपने बच्चों के साथ अच्छा समय व्यतीत करना चाहते हैं. लेकिन कई दिन ऐसे बीतते हैं कि जब कार्यालय से तनाव, थकान और कभी-कभी निराश मन के साथ माता-पिता घर आते हैं और ऐसे में अपने बच्चे की ज़रूरतों को पूरा कर पाने की स्थिति में नहीं होते हैं.
जब बच्चों के समग्र विकास की बात आती है तो माता-पिता के लिए परवरिश सबसे कठिन काम बन जाता है.जब बच्चों के समग्र विकास की बात आती है तो माता-पिता के लिए परवरिश सबसे कठिन काम बन जाता है.
यह एक बहुत बड़ी समस्या लगने लगती है जब आपकी मेड ये बोलती है कि वो अब 2-3 दिन तक काम पर नहीं आएगी और वह जब वह काम छोड़ देती हैं, तो यह एक बड़े झटके की तरह लगता है क्योंकि कम समयांतराल में किसी नयी मेड को ढूँढना एक कठिन कार्य है.
अक्सर दो कार्यरत पेयर के शादी जैसे बंधन में बंधने के दो या तीन साल के बाद घर में किसी तीसरे इंसान के आने की कवायद से यह पूछा जाने लगता है कि तब और बताइए नयी खुशखबरी कब दे रहे हैं ?
आज के इस अर्थवादी परिवेश में माता पिता दोनों के लिए कार्य करना समय की मांग हो गयी है. लेकिन वर्किंग पैरेंट(कार्यरत माता पिता) होना अपने आप में एक बहुत मुश्किल काम है.
किसी भी व्यक्ति के लिए कार्य शील जीवन थोड़ा सा परेशानी भरा तो रहता ही है, उसमें भी अगर एक माँ की बात की जाय जिसके बहुत छोटे छोटे बच्चे होते हैं, उसके लिए वास्तव में घर से बाहर या कार्यालय में कार्य करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है.
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