पिछले कुछ वर्षों में, बड़ी संख्या में छात्रों ने विभिन्न कॉमर्स कोर्सेज के लिए आवेदन किया है. इन पाठ्यक्रमों में से चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए) व्यापक रूप से लोकप्रिय पाठ्यक्रम रहा है और छात्रों ने बीकॉम, बीएमएस और बीएएफ जैसे ग्रेजुएशन की डिग्री के साथ इसे जोड़ दिया है. अच्छी सैलरी,सीए के प्रति सम्मान तथा आदर की भावना आदि कई कारण हैं जिसकी वजह से बीकॉम, बीएमएस और बीएएफ के समानांतर इस विषय का चुनाव छात्र कर रहे हैं. चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की ज़िम्मेदारियां बहुत बड़ी होती हैं. वे व्यक्तियों और व्यवसायों से जुड़े अकाउन्ट्स,टैक्स,फाइल तथा फायनेंसियल स्टेटमेंट के ऑडिट आदि सभी का सही रूप से निरीक्षण करते हुए उस पर हस्ताक्षर करते हैं.दिसंबर 2017 में करीब 60,000 छात्र सीपीटी की परीक्षा में उपस्थित हुए और उनके पास का प्रतिशत लगभग 38% था. यदि आप जून में इस साल सीपीटी देने वाले छात्रों में से एक हैं, या दिसंबर में देने का लक्ष्य रखे हुए हैं, तो यहां दिए गए बातों की जानकारी आपको अवश्य होनी चाहिए. 1. सीपीटी किसी भी डिग्री की गारंटी नहीं देता है इंजीनियरिंग या मेडिकल जैसे बैचलर डिग्री कोर्स में बहुत कम ड्रॉप आउट प्रतिशत होता है. इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा थोड़ा कठिन हो सकता है,लेकिन कॉलेज में प्रवेश का आमतौर पर मतलब है कि आपको एक डिग्री मिलेगी ही. लेकिन सीपीटी पास करने पर आपको एक डिग्री मिलेगी इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती है.सीपीटी (सीए प्रवेश) परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी, बड़ी संख्या में छात्र एक ही प्रयास में आईपीसीसी लेवल के अगले लेवल पर दोनों ग्रुप को पास करने के लिए कठिन संघर्ष करते हैं. नवंबर 2017 में दोनों ही ग्रुप का एक्जाम देने के बावजूद सिर्फ 27% छात्र ही सिर्फ एक ग्रुप को क्लियर(पास) कर पाएं. इतना ही नहीं केवल 23% छात्र ही सीए फाइनल दे पाएं. कई छात्रों को सीए में पास होने के लिए बार बार किसी विशेष ग्रुप की मदद लेनी पड़ती है. यद्यपि सीए पाठ्यक्रम की कुल अवधि लगभग 4.5 वर्ष है, लेकिन अधिकांश छात्रों को इसे पूरा करने में काफी समय लगता है. इसी कारण कई छात्र इसे बीच में ही छोड़ देते हैं. यदि आप सीए करना चाहते हैं,तो आपको जीनियरिंग,आर्ट्स,साइंस तथा अन्य स्ट्रीम वाले छात्रों की तुलना में अधिक समय देने के लिए मानसिक रूप से तैयार होना पड़ेगा. 2. सीए का सिलेबस बहुत वृहद है यह बात बिलकुल सही है कि मेडिकल और लॉ का सिलेबस बहुत वास्ट (वृहद्) होता है लेकिन सीए भी उससे कम नहीं है.सीए पर भी मेडिकल और लॉ वाली बात ही लागू होती है.यदि आपने सीपीटी पाठ्यक्रम का अध्ययन किया है, तो आपको पता होगा कि वह कितना वृहद है और यह तो सिर्फ संक्षिप्त संकेत है.सीए कोर्स बहुत जटिल है. इसके हर लेवल पर कठिनाई का स्तर बढ़ता जाता है. यह पाठ्यक्रम इतना विशाल क्यों है? वकील की तरह, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की भी जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है. वे अपने ग्राहकों और सरकार के प्रति उतरदायी होते हैं. वे कंपनी के बुक अकाउन्ट्स के ऑडिट करने के साथ साथ उसका सिग्नेट्री होता है. इतना ही नहीं बड़े से बड़े ऑर्गेनाइजेशन के टैक्स रिटर्न पर इनके हस्ताक्षर होते हैं और ऐसी स्थिति में यह उम्मीद की जाती है कि इनसे कोई गलती न हो. भारतीय टैक्स प्रणाली भी बहुत जटिल है. इसलिए एक सीए के पास कंपनी एक्ट्स,अकाउंटिंग और ऑडिटिंग स्टैंडर्ड्स,टैक्सेशन लॉ और इसी तरह के अन्य नियमों सेबी और फेमा जैसे नियमों की पूर्ण जानकारी तथा इससे जुड़े तथ्यों के प्रति गहन अंतर्दृष्टि होना चाहिए. इस वृहद् पाठ्यक्रम को पूरा करने का एकमात्र तरीका नित्य प्रति इसके लिए प्रयास करना है. रोज एक निश्चित समय तक पढ़ाई करके अवश्य ही इसमें सफलता प्राप्त की जा सकती है. 3. आर्टिकलशिप के दौरान आने वाली मुख्य चुनौतियाँ सीए कोर्स पूरी तरह से सैद्धांतिक (थियरेटिकल) नहीं है. इस कोर्स के लिए सभी छात्रों को लाइसेंस प्राप्त सीए या लाइसेंस प्राप्त किसी फर्म के अंतर्गत 2 साल का आर्टिकलशिप करना अनिवार्य होता है. यह आर्टिकलशिप बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिये छात्रों को इंडस्ट्री से जुड़े तथ्यों का अनुभव तथा उनका व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होता है. लेकिन इस दौरान बहुत सारे छात्रों को को कई कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
4. प्लेसमेंट सिस्टम यदि आप किसी प्रतिष्ठित फर्म से आर्टिकलशिप कर रहे हैं तो संभव है कि आपको वहीं पर जॉब मिल जाए. लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है या फिर आप उस ऑर्गेनाइजेशन या फर्म में काम करना नहीं चाहते हैं तो भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) कैंपस प्लेसमेंट प्रदान करता है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इन नियुक्तियों के लिए आने वाले उम्मीदवारों की संख्या लगभग दोगुना हो गई है, जबकि नौकरियों की संख्या ज्यों की त्यों स्थिर है. हर कंपनी के सेलेक्शन की क्राइटेरिया अलग अलग है लेकिन वे ऐसे उम्मीदवार को रिक्रूट करना ज्यादा पसंद करते हैं जिन्होंने अपने पहले प्रयास में ही पाठ्यक्रम पूरा कर लिया हो. कई प्रयासों वाले छात्र इस प्रणाली के बाहर नौकरियों के लिए आवेदन करना समाप्त कर देते हैं और अक्सर कम स्टिपेंड में काम करने लगते हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे उम्मीदवारों को दिए गए औसत सैलरी में वृद्धि हुई है. भले ही आपको फ्रेशर के रूप में अच्छा पैसा नहीं मिलता हो लेकिन आपको अनुभव मिलता है जिसके आधार पर आगे चलकर आप अपना स्वयं का फर्म खोल सकते हैं. बहुत सारे छोटे तथा मध्यम साइज की कंपनिया या फर्म बिजनेस तथा व्यक्तियों के लिए कार्य करती हैं. यदि आप शुरुआत से ही बहुत अच्छा करना चाहते हैं तो आपको यह सलाह दी जाती है कि आपने जिस फर्म से अपना आर्टिकलशिप किया है वहीं से एक आकर्षक नौकरी प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए. 5. सीखने की प्रक्रिया हमेशा जारी रहती है मेडिकल फील्ड में आपको नई दवाओं और नवीनतम उपचार विधियों से हमेशा अवगत रहना पड़ता है. यदि आप एक इंजीनियर हैं तो आप पुरानी तकनीक के साथ काम नहीं कर सकते हैं. एक लॉयर के रूप में आपको लगातार संशोधित कृत्यों और ऐतिहासिक अदालत के उदाहरणों का ट्रैक रखना पड़ता है. इसी प्रकार, सीए के रूप में आप अपने आप को एक बॉक्स में बंद नहीं कर सकते और सीखना बंद नहीं कर सकते हैं. आपको सरकार द्वारा लाए गए नई नीतियों, कानूनों और विनियमों का ट्रैक रखना पड़ेगा.इसके अलावा, भारत की अर्थव्यवस्था गतिशील है और कर नीतियों में बहुत सारे बदलाव हो रहे हैं.जीएसटी अभी पेश किया गया है और अभी भी एक विकासवादी मंच के अधीन है.ये कानून वर्षों से बदलते रहेंगे और आपको अपडेटेड रहने के लिए आपको अपने सीखने की प्रक्रिया को जारी रखना पड़ेगा. यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सीए दुनिया भर में सबसे सम्मानित करियर में से एक है. इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत और समर्पण की आवश्यकता है, लेकिन किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में प्रतिभा की यहाँ बहुत जरुरत है तथा इनकी बहुत अधिक मांग है. एक सीए के रूप में आप अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर लाखों लोगों की जिन्दगी को प्रभावित कर सकते हैं. करियर और जॉब से जुड़े ऐसे ही दिलचस्प आर्टिकल के लिए www.jagranjosh.com पर विजिट करें. |
विशेषज्ञ के बारे में: मनीष कुमार ने वर्ष 2006 में आईआईटी, बॉम्बे से मेटलर्जिकल एंड मेटीरियल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. उसके बाद इन्होंने जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, यूएसए से मेटीरियल्स साइंस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की और फिर इंडियन स्कूल फाइनेंस कंपनी ज्वाइन कर ली, यहाँ वे बिजनेस स्ट्रेटेजीज एंड ग्रोथ की देख रेख करने वाली कोर टीम के सदस्य रहें. वर्ष 2013 में इन्होंने एसईईडी स्कूल्स की सह-स्थापना की. ये स्कूल्स भारत में कम लागत वाली के-12 एजुकेशन की क्वालिटी में सुधार लाने पर अपना फोकस रखते हैं ताकि क्वालिटी एजुकेशन सभी को मुहैया करवाई जा सके. वर्तमान में ये टॉपर.कॉम के प्रोडक्ट – लर्निंग एंड पेडागॉजी विभाग में वाईस प्रेसिडेंट हैं. |