हममें से अधिकतर लोग शेरलॉक होम्स और बॉम्केश बक्षी से काफी इम्प्रेस होते हैं. क्या आप देश-दुनिया से अपराध को समाप्त करने की इच्छा रखते हैं या फिर, कोई अपराध होने के बाद आप जल्दी से जल्दी असली अपराधी को भारत के कानून के मुताबिक समुचित सज़ा दिलवाना चाहते हैं. यदि आपका जवाब ‘हां’ है तो बेशक, ऐसे सभी लोगों और इंडियन यूथ के लिए फॉरेंसिक साइंस में अपना करियर शुरू करना काफी दिलचस्प हो सकते हैं. आइए, जानें कि क्या फॉरेंसिक साइंस में भारत में उपलब्ध विभिन्न करियर ऑप्शन्स में से कोई करियर आपके लिए एक सही ऑप्शन साबित हो सकता है? जी हां! इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ने के बाद आप अपनी एकेडमिक क्वालिफिकेशन्स, टैलेंट और दिलचस्पी के मुताबिक ही इस फील्ड में अपना करियर शुरू कर सकते हैं.
फॉरेंसिक साइंस का परिचय
‘फॉरेंसिक’ शब्द लैटिन वर्ड ‘फॉरेंसिस’ से लिया गया है और ‘फॉरेंसिस’ शब्द का मतलब है – किसी कोर्ट या पब्लिक के सामने उपस्थित होना. इसलिए, फॉरेंसिक साइंस की फील्ड का संबंध कोर्ट द्वारा इन्वेस्टीगेशन के तहत मामलों के लिए साइंटिफिक मेथड्स और टेक्नीक्स का इस्तेमाल करने से है. यह एक वोकेशनल फील्ड है जो फॉरेंसिक सबूतों के अध्ययन से संबंधित है और क्रिमिनल मामलों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है ताकि विक्टिम्स को न्याय प्रदान करने में जूडीशरी की मदद हो सके.
फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स का जॉब प्रोफाइल
परिभाषा के मुताबिक, कोई फॉरेंसिक साइंटिस्ट किसी क्राइम सीन/ घटना-स्थल से सभी आवश्यक और महत्वपूर्ण सबूत एकत्रित करता है, उन सबूतों को सुरक्षित रखता है, उन सबूतों का विश्लेषण करता है और फिर उन सबूतों को कोर्ट में पेश करता है. ये सबूत कुछ भी हो सकते हैं जैसेकि, खून, बॉडी फ्लुइड्स, फिंगरप्रिंट्स, बॉडी में अल्कोहल का लेवल, बाल, डीएनए, केमिकल एविडेंस, एक्सप्लोसिव्स या अन्य कोई भी सबूत जो घटना-स्थल से मिला हो.
बीते वर्षों में, टेक्नोलॉजी की तरक्की के साथ ही किसी फॉरेंसिक साइंटिस्ट के कार्यक्षेत्र में भी काफी बदलाव हुए हैं. आजकल, फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स को केवल एक ‘टेक्नीशियन’ ही नहीं समझा जाता है जो सबूत एकत्रित करता है. ये पेशेवर किसी क्राइम के इन्वेस्टीगेशन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये पेशेवर पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि कोर्ट में स्वीकार किये जाने योग्य साइंटिफिक एविडेंस पेश किये जा सकें.
फॉरेंसिक साइंस के कोर्सेज और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
एक महत्वपूर्ण स्टडी फील्ड होने के कारण, फॉरेंसिक साइंस में उपलब्ध विभिन्न कोर्सेज की संख्या अभी कम है. लेकिन फॉरेंसिक साइंस में अध्ययन करने के इच्छुक कैंडिडेट्स निम्नलिखित कोर्सेज कर सकते हैं:
अंडरग्रेजुएट कोर्सेज
- फॉरेंसिक साइंस में बीएससी
एलिजिबिलिटी: साइंस स्ट्रीम में 10+2.
पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज
- फॉरेंसिक साइंस में एमएससी
एलिजिबिलिटी: फॉरेंसिक साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री.
- फॉरेंसिक साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा
एलिजिबिलिटी: फॉरेंसिक साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री.
शॉर्ट-टर्म/ स्पेशलाइज्ड कोर्सेज
- फॉरेंसिक साइंस में स्पेशलाइजेशन कोर्स
- फॉरेंसिक साइंस में सर्टिफिकेट कोर्स
- फॉरेंसिक साइंस में डिप्लोमा.
भारत में प्रमुख फॉरेंसिक साइंस कॉलेज, यूनिवर्सिटीज़ और एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स
अब, जब हमें फॉरेंसिक साइंस की फील्ड में उपलब्ध विभिन्न कोर्सेज की जानकारी मिल चुकी है तो हमारे लिए यह जानना भी बहुत जरुरी है कि कौन से कॉलेज ये कोर्सेज ऑफर करते हैं? एक महत्वपूर्ण फील्ड होने के बावजूद, फॉरेंसिक साइंस में कई यूनिवर्सिटीज और स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स निम्नलिखित महत्वपूर्ण कोर्सेज ऑफर करते हैं:
- एलएनजेएन नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, नई दिल्ली
- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी, बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी
- इंटरनेशनल फॉरेंसिक साइंस - एजुकेशन डिपार्टमेंट, पुणे
- एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज, नोएडा
- उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
- डॉ हरिसिंह गौड़ यूनिवर्सिटी, सागर, मध्य प्रदेश
- गुजरात फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी, गांधीनगर
फॉरेंसिक साइंस में करियर प्रोस्पेक्टस
एक महत्वपूर्ण फील्ड होने के बावजूद, फॉरेंसिक साइंस की फ़ील्ड में फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स और फॉरेंसिक स्पेशलिस्ट्स के लिए बहुत से अवसर मौजूद हैं और जिसका श्रेय इस फील्ड में मौजूद कम कॉम्पीटीशन को जाता है और इसके साथ ही यह फील्ड सरकारी और प्राइवेट सेक्टर्स में जॉब्स के काफी आकर्षक अवसर और हेंडसम सैलरी ऑफर करती है.
गवर्नमेंट सेक्टर: विभिन्न सरकारी विभाग और लॉ-एनफोर्समेंट एजेंसियां भारत में फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स के सबसे बड़े रिक्रूटर्स हैं. जिन स्टूडेंट्स ने फॉरेंसिक साइंस में एमएससी की डिग्री प्राप्त की है, वे राज्य स्तरीय या सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्रीज में विभिन्न पोस्ट्स के लिए अप्लाई करने के लिए योग्य हैं. हालांकि, कैंडिडेट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, एमएससी की डिग्री के आधार पर केवल कॉन्ट्रैक्चूअल एम्पलॉयीज को ही हायर किया जाता है. इस फील्ड में परमानेंट पोजीशन प्राप्त करने के लिए कैंडिडेट्स को यूपीएससी एग्जाम पास करना होगा और सीएफएसएल में आवश्यक पोजीशन प्राप्त करनी होगी. इन पेशेवरों के विभिन्न जॉब रोल्स निम्नलिखित हैं:
- एविडेंस या सबूत एकत्रित करने के लिए क्राइम सीन पर विजिट करना.
- एकत्रित सबूतों का इन्वेस्टीगेटिव एनालिसिस करना.
- ऐसी एफएसएल रिपोर्ट्स तैयार करना, जो सीआरपीसी के सेक्शन 293 के तहत सबूत के तौर पर स्वीकार की जा सकें.
प्राइवेट सेक्टर: फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स के लिए प्राइवेट सेक्टर में करियर के अवसर, गवर्नमेंट सेक्टर में उपलब्ध अवसरों की तुलना में सीमित हैं. लेकिन आजकल क्राइम्स बढ़ने के साथ ही प्राइवेट या फ्रीलांस फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की मांग कई गुना बढ़ गई है. स्टूडेंट्स फॉरेंसिक साइंस में अपना डिप्लोमा, सर्टिफिकेट या बीएससी या एमएससी की डिग्री प्राप्त करने के बाद विभिन्न प्राइवेट इन्वेस्टीगेटिव एजेंसियों में कॉन्ट्रैक्चूअल जॉब कर सकते हैं या फिर, इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट के तौर पर काम कर सकते हैं. कई बार, उन्हें कोर्ट द्वारा प्राइवेट एक्सपर्ट विटनेस के तौर पर भी हायर किया जाता है. इन पेशेवरों के विभिन्न जॉब कार्यों के तहत निम्नलिखित विभिन्न कार्यों को शामिल किया जा सकता है:
- हेंडराइटिंग और सिग्नेचर वेरिफिकेशन
- विभिन्न फ़ील्ड्स में सीएफएसएल एक्सपर्ट का क्रॉस-एग्जामिनेशन
- एफईएसएल रिपोर्ट्स के विरुद्ध ऐसी ऑब्जेक्शन रिपोर्ट्स तैयार करना जो इंडियन एविडेंस एक्ट के सेक्शन 45 के तहत स्वीकार की जा सकें.
ये पेशेवर निम्नलिखित इन्वेस्टीगेटिव कार्य नहीं कर सकते हैं:
- एविडेंस कलेक्शन के लिए पुलिस के साथ क्राइम सीन में विजिट करना
- बैलिस्टिक्स, डीएनए, टॉक्सिकोलॉजी और अन्य एविडेंसेज को एग्जामिन और एनालाइज करना.
टीचिंग: ऐसे कैंडिडेट्स जो क्राइम्स के इन्वेस्टीगेशन में वास्तव में रूचि नहीं रखते हैं, उनके लिए फॉरेंसिक साइंस में टीचिंग भी एक अन्य इंटरेस्टिंग करियर ऑप्शन हो सकता है. केवल कुछ ही ऐसे इंस्टीट्यूट्स हैं जो फॉरेंसिक साइंस में एकेडेमिक प्रोग्राम्स ऑफर करते हैं. इसी तरह, इस फील्ड में एक्सपर्ट टीचर्स और ट्रेनर्स भी काफी कम हैं. इसलिए, फॉरेंसिक साइंस की फ़ील्ड में टीचिंग एक आकर्षक करियर ऑप्शन है. फॉरेंसिक साइंस में एक टीचर या प्रोफेसर बनने के लिए, आपको एमएससी की डिग्री पर पीएचडी की डिग्री अवश्य प्राप्त करनी होगी और नेट एग्जाम भी पास करना होगा जिसके बाद फॉरेंसिक साइंसेज में विभिन्न एकेडेमिक प्रोग्राम्स ऑफर करने वाली यूनिवर्सिटीज आपको हायर कर सकती हैं.
टीचिंग में करियर:
- क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन में रूचि न लेने वाले लोगों के लिए एक आदर्श ऑप्शन है
- कम कॉम्पीटीशन, जॉब के ज्यादा अवसर
करियर पाथ: साइंस विषय सहित 10+2, प्योर/ फॉरेंसिक साइंस में बीएससी, फॉरेंसिक साइंस में एमएससी, नेट एग्जाम पास करने के बाद किसी यूनिवर्सिटी/ इंस्टीट्यूट से जॉब ऑफर.
भारत में फॉरेंसिक साइंस में उपलब्ध हैं ये विशेष करियर ऑप्शन्स
साइंस की अन्य किसी फील्ड की तरह ही, फॉरेंसिक साइंस में भी कई जॉब रोल्स और जॉब प्रोफाइल्स हैं जिनके लिए स्पेशलाइज्ड नॉलेज चाहिए. स्टूडेंट्स अपने एकेडेमिक प्रोग्राम के दौरान ही अपना पसंदीदा स्पेशलाइजेशन चुन सकते हैं और जो जॉब रोल वे चाहते हैं, उस जॉब रोल के मुताबिक विशेष स्किल्स में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं. भारत में फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स को निम्नलिखित महत्वपूर्ण जॉब रोल्स और जॉब प्रोफाइल्स ऑफर किये जाते हैं:
- फॉरेंसिक पैथोलोजिस्ट्स:ये पेशेवर खून/ हत्या या आत्महत्या के विभिन्न मामलों में मरने का कारण और समय निर्धारित करते हैं.
- फॉरेंसिक एन्थ्रोपोलॉजिस्ट्स:ये पेशेवर डिजास्टर्स में मारे गए या हत्या किये गए लोगों की पहचान करने में मदद करते हैं.
- फॉरेंसिक साइकोलॉजिस्ट्स:ये लोग किसी कोर्ट या अन्य फैक्ट फाइंडर्स को सही या उपयुक्त निर्णय लेने में सहायता करते हैं.
- क्लिनिकल फॉरेंसिक मेडिकल एक्सपर्ट्स:ये पेशेवर उन क्राइम विक्टिम्स और सस्पेक्ट्स के एग्जामिनर के तौर पर काम करते हैं जो क्राइम को अंजाम देते समय जख्मी हो गए हों और इसके साथ ही किसी क्राइम और उस क्राइम के समय के बारे में खास नतीजों पर पहुंचते हैं.
- फॉरेंसिक सेरोलॉजी एक्सपर्ट्स:ये लोग ब्लड ग्रुप्स, ब्लड और अन्य बॉडी फ्लुइड्स को एनालाइज करते हैं और डीएनए फिंगरप्रिंटिंग से संबद्ध काम करते हैं.
- फॉरेंसिक केमिस्ट्स:ये पेशेवर गैर-क़ानूनी ड्रग्स, आर्सन के मामलों में इस्तेमाल किये गए एक्सेलेरेंट्स, एक्सप्लोसिव और गनशॉट रेजीड्यूज की पहचान और पता लगाने के साथ ही पेंट, ग्लास, पॉलीमर्स और फाइबर्स आदि सहित विभिन्न एविडेंसेज का पता करने में मदद करते हैं.
- डैक्टीलॉस्कोपिस्ट्स:ये लोग क्राइम सीन से प्राप्त फिंगर प्रिंट्स का अध्ययन करते हैं और सस्पेक्ट्स के साथ उन फिंगरप्रिंट्स का संबंध पता करते हैं.
- फॉरेंसिक लिंग्विट्स:ये पेशेवर रिटन और ओरल कम्युनिकेशन को एनालाइज करते है तथा खासकर किडनेपिंग के मामलों में क्रिमिनल्स की पहचान करते हैं.
- टॉक्सिकोलॉजिस्ट:ये लोग किसी बॉडी में फार्मास्यूटिकल ड्रग्स और पॉयजन्स, टॉक्सिन लेवल्स आदि की पहचान और पता लगाने में पुलिस की मदद करते हैं.
जॉब, इंटरव्यू, करियर, कॉलेज, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स, एकेडेमिक और पेशेवर कोर्सेज के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने और लेटेस्ट आर्टिकल पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.jagranjosh.com पर विजिट कर सकते हैं.
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