10 फ़िल्में जिन्हें सभी स्कूल स्टूडेंट्स को ज़रूर देखनी चाहिए
जब भी आपको लगे की आप बहुत कठिन दौर से गुज़र रहें हैं, या लगे की आप पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, या फिर महसूस हो की ज़िन्दगी नर्क हो गयी है तो इन फ़िल्मों को एक बार ज़रूर देखें l इनको देखने के बाद आपके मन में फिर से नया जोश भर जाएगा l

जिस तरह हमारे हाथ की पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होती उसी तरह हमारे जीवन का हर दिन एक जैसा नहीं होता l एक साधारण व्यक्ति के जीवन में कभी आशा होती है तो कभी निराशा, कभी सुख होते हैं तो कभी दुःख, व्यक्ति कभी हारता है तो कभी जीत हासिल करता है l
लेकिन कभी-कभी कठिन वक़्त और कठिन हालात इंसान को ऐसे मोड़ पर ले आतें हैं जहाँ वह निराशा से घिर जाता है l ऐसी कठिन परिस्थिति में, निराशा से उबरने के लिए उस व्यक्ति को थोड़ा सा प्रोत्साहन चाहिए होता है l कुछ प्रेरक शब्द और बातें, उस निराशा में डूबे व्यक्ति के लिए जादू की तरह काम करती हैं l
इसी बात को ध्यान में रखते हुए, इस आर्टिकल में हमने विद्यार्थियों के लिए कुछ मोटिवेशनल फ़िल्मों के बारे में यहाँ बताया है l जब भी आपको लगे की आप बहुत कठिन दौर से गुज़र रहें हैं या लगे की आप पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है या फिर महसूस हो की ज़िन्दगी नर्क हो गयी है तो इन फ़िल्मों को एक बार ज़रूर देखें l इनको देखने के बाद आपके मन में फिर से नया जोश भर जाएगा l
ये फ़िल्में इस प्रकार हैं:
1 # द परस्युट ऑफ़ हैपिनेस:
Image source: pbs.twimg.com
यह एक अमेरिकी जीवनी नाटक फिल्म है जो क्रिस गार्डनर के जीवन पर आधारित है l इस फिल्म में एक भटकते हुए बेघर सेल्समैन से एक शेयर दलाल बनने की कहानी दर्शायी गयी है l इस फिल्म में क्रिस नाम का व्यक्ति (जो एक बच्चे का पिता भी है) अपनी सारी जमा पूँजी बोन स्कैनर नाम की मशीनें खरीदने में लगा देता है l जिसे वह बेच नहीं पाता l वह आर्थिक रूप से टूट जाता है और सकी पत्नी उसे छोड़ कर चली जाती है l वह बेघर हो जाता हैं जिसके बाद वह और उसका बेटा बार्ट स्टेशन के एक बाथरूम में सोने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वह चर्च में भी शरण लेता है जो मुख्य रूप से एकल माताओं और उनके बच्चों के लिए बेघर आश्रय था ।
चर्च में जगह बहुत कम थी पर मांग ज़्यादा इसलिए उसे दौड़ कर इंटर्नशिप (शेयर दलाल बनने के लिए) आना जाना पड़ता था । उसकी हालत इतनी खराब हो गयी थी की वो टैक्सी का किराया भी नहीं जुटा सकता है ।
इन कठिन परिस्थितियों में भी कभी उसने हिम्मत नहीं हारी और खुद के साथ साथ अपने बेटे संभाला । उसने अपने सह कार्यकर्ताओं पर अपनी खराब परिस्थितियों को ज़ाहिर नहीं होने दिया । चूँकि वह शेयर दलाल बनने के लिए इंटर्नशिप कर रहा था तो उसके लिए हर हाल में अच्छा दिखना भी ज़रूरी था l उसने हर हाल में संघर्ष करके अपना बेस्ट दिया और नौकरी की दौड़ में 19 प्रतियोगी को पीछे करके जीत हासिल किया l
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2 # 3 ईडियट्स
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यह अंग्रेजी उपन्यासकार चेतन भगत के प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यास ''फ़ाइव प्वांइट समवन'' पर आधारित फ़िल्म है । यह फिल्म काबिल बनने की बजाए कामयाब बनने पर जोर देती है l
इस फिल्म में यह भी दर्शाया गया है कि कैसे अभिभावकों के दबाव में आकर कुछ बच्चे इंजीनियरिंग एडमिशन लेते हैं जिसके बाद उन्हें हमेशा संघर्ष करना पड़ता है l फिल्म यह भी दर्शाती है कि स्कूल के विद्यार्थियों को क्या-क्या संघर्ष झेलने पड़ते है l यह फ़िल्म मनोरंजन के साथ-साथ जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें सिखलाती है और मोटीवेट भी करती है l
3 # भाग मिल्खा भाग
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भाग मिल्खा भाग मशहूर धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी फ़िल्म है। इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे अपने लक्ष्य को पाने के लिए मिल्खा सिंह रात दिन एक कर मेहनत करते हैं l यह फिल्म मिल्खा सिंह के बचपन से लेकर फ्लाइंग सिख बनने तक की कहानी दिखती है l
इस फिल्म में दिखाया गया है कि मिल्खा सिंह ने बचपन में भारत-पाक विभाज़न के दौरान किस तरह के दर्द झेले l ओलंपिक्स के लिए प्रैक्टिस करते-करते मिल्खा सिंह ने न जानें कितनी बार पसीनें से बाल्टियाँ भरी और मुँह से खून फेका, इसके बावज़ूद वह ओलंपिक्स में मेडल पानें से चूक गए l
इस कहानी से हर विद्यार्थी को यह प्रेरणा मिलती है कि कैसे किसी विषय की तैयारी लिए उन्हें कितनी मेहनत करनी पड़ती है l जैसे कोई धावक एक दिन में में तेज़ दौड़ कर मेडल नहीं जीत सकता, उसी तरह बिना पेन और पेपर से प्रैक्टिस किये कोई विद्यार्थी टॉप नहीं कर सकता l
4 # निल बटे सन्नाटा
यह फिल्म एक गरीब मां और उसकी बेटी की कहानी है l माँ घरों में काम करती है मगर चाहती है कि बेटी पढ़ लिख कर नाम कमाए मगर बेटी सोचती है कि जो माँ करती है वही वह भी करेगी, बेटी के सपने मर चुके थे l माँ अपनी बेटी के मर चुके ख्वाब को जिंदा करने के लिए फिर जी-जान से जुट जाता है l यह फिल्म बताती है कि सपनों का मर जाना सबसे खतरनाक होता है और इनसान के सपनों के मर जाने से बड़ा कोई दर्द नहीं होता l यह फिल्म लड़कियों की शिक्षा और मां-बेटी के संबंधों को लेकर बहुत प्रेरणा देने वाली फिल्म है l
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5 # द रेवेनेंट
'द रेवेनेंट' कठोर परिस्थतियों में भी जीवित रहने के संघर्ष की कहानी है जो माईकल पंके की 'द रेवनेंट' नाम की नावेल पर आधारित फिल्म है l यह कहानी है ऐसे व्यक्ति की जिसके घर को आग लगा दी जाती है, बेटे को मार दिया जाता है और जिसको लोग बर्फीले प्रदेश में अकेले मरने के लिए छोड़ कर चले जाते हैं l घने जंगल और बर्फीले तूफान में उसे काफी कठिनाइयां झेलनी पड़ती है l लेकिन वह व्यक्ति आखिरी सांस तक जीने की कोशिश करता है और उसके बाद अपने बेटे के कातिलों से बदला भी लेता है l
यह फिल्म हमे संघर्ष करना सिखाती है और यह दिखती है कि हालात चाहे जितने बुरे क्यूँ न हों हमे कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए l
6 # स्लमडॉग मिलेनियर
स्लमडॉग मिलियनेयर फ़िल्म की पृष्ठभूमि में ज़्यादातर मुंबई के झोपड़पट्टी में रहने वाले लोग हैं । यह फ़िल्म दो भाइयों के इर्द गिर्द घूमती जो बचपन में दंगों के दौरान अनाथ और बेघर हो गए l दोनों ने तरह-तरह के बुरे लोगों और अनगिनत तरह की मुश्किलों का सामना किया l दोनों भाइयों में से एक भाई ने गलत रास्ता चुना और दुसरे ने मेहनत का सही रास्ता l
अगर किसी को लगता है कि उसकी ज़िन्दगी में मुश्किलें बहुत ज़्यादा हैं तो उसे यह फिल्म ज़रूर देखनी चाहिए l फिल्म अंत में यह भी दिखाती है कि गलत रास्ते पर चलने वाले का अंजाम हमेशा गलत ही होता है l
7 # आई एम कलाम
यह फिल्म राजस्थान में रहने वाले छोटू नामक 12 साल के बुद्धिमान लड़के के इर्द-गिर्द घूमती है l गरीबी और अभाव में रहने के बावजूद छोटू हर तरह के हालातों से प्रसन्नतापूर्वक जूझता है। अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए उसे सड़क के किनारे छोटे से होटल में काम करता है और शाम को पढ़ाई करता है । एक दिन छोटू भारत के राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम को टेलीविजन पर देखता है और उनसे काफी प्रेरित होता है । वह अपना नाम बदलकर कलाम रख लेता है और यह निश्चय करता है की वह एक ऐसा व्यक्ति बनेगा जो टाई पहनता है और जिसका दूसरे व्यक्ति सम्मान करेंगे ।
फिल्म उसकी माँ बार-बार यह कहती है कि ‘’स्कूल हमारे भाग्य में नहीं है’’ मगर फिल्म ये बताती है कि भाग्य कुछ नहीं होता है और किस तरह नियति को कठिन परिश्रम के द्वारा बदला जा सकता है।
8 # चक दे इंडिया
‘चक दे इंडिया’ कबीर खान नाम के व्यक्ति की कहानी है, जो भारतीय हॉकी टीम का श्रेष्ठ सेंटर फॉरवर्ड खिलाड़ी रह चुका था। पाकिस्तान के विरूद्ध एक फाइनल मैच में वह अंतिम क्षणों में पेनल्टी स्ट्रोक के जरिये गोल बनाने से चूक गया और उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ा । मुस्लिम होने के कारण उसकी देशभक्ति पर प्रश्नचिह्न लगा दिए गए ।
सात वर्ष बाद वह महिला हॉकी टीम का प्रशिक्षक बनता है और इस टीम को विश्व चैम्पियन बनाकर वह अपने ऊपर लगे हुए दाग को धोता है । यह काम आसान नहीं था l महिला हॉकी टीम उस समय सिर्फ नाम के लिए खेलती थी और कबीर खान को बहुत ज़्यादा संघर्ष करना पड़ा l कबीर ने टीम को बहुत मेहनत कराया और टीम को एकजुट करके विश्व चैंपियन बनाया l
यह फ़िल्म किसी भी काम में प्रैक्टिस का महत्व सिखाती है और इसके साथ-साथ टीम-वर्क के इम्पोर्टेंस के बारे में बड़ी सीख देती है l
9 # गुड विल हंटिंग
इस फिल्म में विल हंटिंग नाम का व्यक्ति मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी (दुनिया की सबसे नामी यूनिवर्सिटी) का एक चौकीदार है और जो एक बहुत तेज़ बुद्धि और गणित के प्रति गहरा लगाव रखने वाला व्यक्ति है । वह एक दुर्व्यवहार ग्रस्त बच्चा भी है जिसकी वजह से वह पेशेवर और भावनात्मक रूप से सहज नहीं रह पा रहा था ।
एक बार यूनिवर्सिटी के बड़े प्रोफेसर एक कठिन प्रश्न विद्यार्थियों के लिए बोर्ड पर लिख कर छोड़ जाते हैं, जिसे वह चुपचाप आसानी से हल कर देता है । यह बात यूनिवर्सिटी के बड़े प्रोफेसर को बहुत बाद में पता चलती है जिसके बाद वह उसकी मदद करते हैं l यह फिल्म हमें सिखाती है हमे खुद पर विश्वास करना चाहिए और पुरानी बातों अथवा दुःखों को भूल कर आगे बढ़ना l
10 # इकबाल
यह फिल्म गांव में रहने वाले एक गूंगे और बहरे लड़के की कहानी है जो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखता है और उसके लिए संघर्ष करता है l उसके पास कोई सुविधा नहीं होती उसके पिता भी उसके क्रिकेट खेलने का बहुत विरोध करते है l लेकिन वह हार नहीं मानता l वह हर तरह के हालातो का जम के मुकाबला करता है और अंत में अपने सपने को पूरा भी करता है l यह फिल्म छात्रों को सिखाती है कि हालात चाहें जैसे भी हों हिम्मत नहीं हारनी चाहिए कठिन परिश्रम और दृण निश्चय से सफलता ज़रूर मिलती है l
निष्कर्ष:
ऊपर दी गयी हर फिल्म कुछ न कुछ ख़ास बातें सिखाती हैं, कोई फिल्म मेहनत करना सिखाती है तो कोई फिल्म हमे संघर्ष करना । जब आपको लगे की आपके साथ कुछ बुरा हो रहा है या लगे हालात ठीक नहीं हैं तो इन फिल्मों को ज़रूर देखें आपके अंदर फिर से नया जोश और जुझारूपन भर जाएगा l अगर आप भी कोई ऐसी फिल्म के बारे में जानतें हैं जिसे आपको बहुत मोटिवेशन मिला या जिसने आपको निराशा से उबारा तो फेसबुक पर हमें कमेंट्स के द्वारा ज़रूर बताए l
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