आजकल कई नए करियर विकल्प छात्रों के सामने मौजूद हैं. उनमें से अपनी रूचि, क्षमता और योग्यता के अनुरूप किसी का भी चयन कर वे अपना करियर सवांर सकते हैं तथा अपने जीवन तथा समाज को अपना बेहतर दे सकने में सक्षम हो सकते हैं. यदि आपकी रूचि एग्रीकल्चर और बायोलॉजिकल फील्ड में है, तो प्लांट पैथोलॉजी को आप अपने करियर विकल्प के रूप में चुन सकते हैं.
आज के मौजूदा समय में इस फील्ड के जानकारों तथा विशेषज्ञों की खासी कमी है.इसलिए इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा कर्मचारियों की जरुरत है. प्लांट पैथोलॉजी के अंतर्गत मुख्यतः पौधों और उनमें फैलने वाले संक्रामक रोगों के बारे में पढ़ना होता है.इस कोर्स को पूरा करने के बाद छात्रों का मुख्य कम अलग अलग स्थान के आधार पर पौधों का संक्रामक रोगों से बचाव करना और वहां के किसानों और आम लोगों को इन लोगों के बारे में जागरूक करना होता है.
प्लांट पैथोलॉजी
प्लांट पैथोलॉजी को सामान्यतः ‘फिथोपैथोलॉजी’ भी कहा जाता है. यह एक वैज्ञानिक अध्ययन है, जिसके जरिए पौधों की बीमारी का पता लगा कर उन्हें स्वस्थ बनाये रखने का प्रयास किया जाता है. दरअसल, पर्यावरण की स्थिति व संक्रामक जीवों द्वारा पौधों में बीमारियां पनपती हैं. भिन्न भिन्न जीवों में कई तरह के रोग होते हैं और जब यह पौधों के संपर्क में आते हैं तो यह रोग पौधों तक चले जाते हैं. इस वजह से प्लांट पैथोलॉजी में जीवों में होने वाली बीमारियों का भी अध्ययन कराया जाता है ताकि पौधों में होने वाले रोगों का समय रहते निदान किया जा सके.
प्लांट पैथोलॉजी का महत्व
पौधों में जीवाणु, विषाणु, माइक्रोप्लाज्मा, सूत्रकृमि के अलावा जहरीली गैसों के कारण भी रोग पनपते हैं. इस वजह से दुनिया की खाद्य व रेशेदार फसले मुख्य रूप से प्रभावित होती हैं. आम लोगों की खाद्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी है कि पेड़-पौधों को संक्रमति होने से रोका जाए. ‘प्लांट प्रोटेक्शन साइंस’ एग्रीकल्चर फील्ड का ही एक ब्रांच है, जिसमें पौधों को स्वस्थ बनाने के तरीके सिखाए जाते हैं. इसमें रोगों के लक्षणों व कारणों की पहचान करना, पौधों को होने वाली हानियों को कम करने व बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए कारगर उपाय या निदान ढूंढने का अध्ययन किया जाता है.
मुख्य तथ्य
प्लांट पैथोलॉजी एक प्रोफेशनल कोर्स है, जो प्लांट हेल्थ में स्पेशलाइजेशन कराता है. पौधों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ऑर्गेनिज्म की बहुत अच्छी समझ होनी चाहिए, जिनकी वजह से पौधों में बीमारियां पनपती हैं. इसके साथ ही यह जानकारी भी होनी चाहिए कि पौधे कैसे बढ़ते हैंऔर किन-किन बीमारियों से कब-कब प्रभावित होते हैं?
इस क्षेत्र में रिसर्च बहुत जरुरी
एक प्लांट पैथोलॉजिस्ट के सामने नए और प्रगतिशील तरीकों को विकसित करने की चुनौती हमेशा बनी रहती है ताकि पौधों में होने वाले रोगों पर काबू पाया जा सके. पौधों की बीमारियों पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाने के लिए नित्य नई तकनीकों पर रिसर्च करने की आवश्यकता पड़ती है .
आवश्यक शैक्षणिक योग्यता
ग्रेजुएशन में एडमिशन के लिए 12वीं में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बॉयोलॉजी मे कम-से-कम 50 प्रतिशत अंक जरूरी है.
इसमें चयन प्रवेश परीक्षा व मेरिट के आधार पर होता है. ग्रेजुएशन के बाद मास्टर्स और डॉक्टरेट डिग्री का विकल्प भी मौजूद है.
साइंटिस्ट या एक्सपर्ट बनने के लिए एन्टोमोलॉजी, नेमाटोलॉजी और वीड साइंस आदि से संबंधित कोर्स भी किया जा सकता है.भारत में कई एग्रीकल्चरल विश्वविद्यालय हैं, जो प्लांट पैथोलॉजी में बैचलर और मास्टर प्रोग्राम करवाते हैं.
भारत के कुछ महत्वपूर्ण विश्वविद्यालयों तथा संस्थानों की सूची नीचे दी गयी है-
प्लांट पैथोलॉजी के अंतर्गत मिलने वाले मुख्य जॉब
रिसर्चर, प्लांट स्पेशलिस्ट, हेल्थ मैनेजर, टीचर, कंसल्टेंट आदि.
प्लांट पैथोलॉजी में जॉब प्रदान करने वाली कुछ प्रसिद्ध कंपनिया या इंस्टीट्यूट
अतः अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और अपने इर्द गिर्द पौधों को रखना, उनकी देखभाल करना आपको पसंद है तो निःसंदेह प्लांट पैथोलॉजी आपके लिए एक श्रेष्ठ करियर विकल्प साबित हो सकता है. यहाँ आप अपनी पसंद के अनुरूप कार्य करते हुए प्रकृति और समाज दोनों की भलाई के लिए एक सार्थक प्रयास कर सकते हैं.0