केंद्र सरकार ने 28 नवम्बर 2017 को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी बद्री नारायण शर्मा को राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया है. कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अगुआई वाली एक समिति के फैसले के बाद प्राधिकरण के अध्यक्ष और उसके सदस्यों की नियुक्ति पर सरकार की ओर से यह फैसला लिया गया है.
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इस प्राधिकरण के गठन के पीछे मकसद नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में घटी दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है. तकनीकी सदस्यों में जेसी चौहान, बिजय कुमार, सीएल महार और आर भाग्यदेवी शामिल हैं.
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा था कि अब सिर्फ 50 ऐसी वस्तुएं जीएसटी की 28 फीसदी के ऊंचे कर स्लैब में रह गयी हैं. वहीं, कई वस्तुओं पर कर की दर को घटाकर पांच फीसदी किया गया है.
बद्री नारायण शर्मा के बारे में:
• बद्री नारायण शर्मा राजस्थान कैडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.
• उन्हें वर्ष 2015 में ऊर्जा मंत्रालय में अपर सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था.
राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण:
• केंद्र सरकार 16 नवम्बर 2017 को जीएसटी 'राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण' के गठन को मंजूरी दी थी. जीएसटी की दरें घटने के बावजूद अगर किसी वस्तु या सेवा के दाम कम नहीं होते हैं तो यह प्राधिकरण कार्रवाई करेगा.
• राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण का कार्यकाल अध्यक्ष के पद संभालने की तारीख से दो साल का होता हैं. अध्यक्ष और चार सदस्यों की उम्र 62 साल से कम होनी चाहिए.
पृष्ठभूमि:
उल्लेखनीय है कि जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी विरोधी उपायों का प्रावधान है। इसी को अमल में लाने के लिए प्राधिकरण का गठन किया है। यह प्रावधान दरअसल इसलिए किया गया है कि जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा मिलने या दरों में कटौती होने का लाभ कीमतों में कमी के रूप में ग्राहकों तक पहुंचना चाहिए.राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण देश के उपभोक्ताओं के लिए एक विश्वास है. यदि किसी ग्राहक को लगता है कि उसे घटी कर दर का लाभ नहीं मिल रहा है, तो वह प्राधिकरण में इसकी शिकायत कर सकता है.
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