प्रसिद्ध जैन मुनि तरुण सागर का 01 सितंबर 2018 को निधन हो गया है. वे 51 साल के थे. वे लम्बे समय से पीलिया से पीड़ित थे.
जैन मुनि का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था और उन्होंने दिल्ली के शाहदरा के कृष्णानगर में शनिवार सुबह 3:18 बजे अंतिम सांस ली. विदित हो कि जैन मुनि तरुण सागर अपने कड़वे प्रवचनों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते थे.
जैन मुनि तरुण सागर के बारे में
• जैन मुनि तरुण सागर का जन्म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था. पिता का नाम प्रताप चंद्र और मां का नाम शांतिबाई था.
• जैन मुनि तरुण सागर ने आठ मार्च, 1981 को घर छोड़ दिया और छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली थी.
• राजस्थान के बागीडोरा के आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें 20 जुलाई 1988 को दिगंबर मुनी बना दिया. तब वे केवल 20 साल के थे.
• तरुण सागर मुनी को मध्य प्रदेश (2002), गुजरात(2003), महाराष्ट्र और कर्नाटक में राज्य अतिथि के रूप में घोषित किया गया.
• कर्नाटक में उन्हें क्रन्तिकारी का शीर्षक दिया गया और सन 2003 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर मे उन्हें राष्ट्रसंत घोषित कर दिया गया
• तरुण सागर मुनी के सारे प्रवचन ‘कडवे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित किये गए है. उनके सभी प्रवचन आठ हिस्सों में संकलित किये गए है.
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