केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 03 जनवरी 2017 को भूमि सीमा पार करने के संबंध में भारत और म्यांमार के बीच समझौते को मंजूरी दे दी है. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई.
यह भी पढ़ें: भारत और म्यांमार का संयुक्त युद्धाभ्यास मेघालय में आरंभ
इस समझौते से दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में आमतौर पर रह रहे लोगों की मुक्त आवाजाही से संबंधित मौजूदा अधिकारों के नियमन एवं उनमें सामंजस्य बैठाने में सहूलियत होगी. इससे वैध पासपोर्टों और वीजा के आधार पर लोगों की आवाजाही में भी सहूलियत होगी जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं सामाजिक जुड़ाव बढ़ेगा.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
भारत-म्यांमार सम्बन्ध:
भारत और म्यांमार दोनों पड़ोसी देश हैं. इनके संबन्ध अत्यन्त प्राचीन और गहरे हैं और आधुनिक इतिहास के तो कई अध्याय बिना एक-दूसरे के उल्लेख के पूरे ही नहीं हो सकते. भारत और म्यांमार की सीमाएं आपस में लगती हैं जिनकी लंबाई 1600 किमी से भी अधिक है. दोनों देश बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा से भी जुड़े हुए हैं. अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड की सीमा म्यांमार से सटी हुई है.
म्यांमार के साथ चहुंमुखी संबंधों को बढ़ावा देना भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण है. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी म्यांमार बहुत महत्वपूर्ण है. दोनों देशों ने सीमा क्षेत्र से बाहर प्रचालन करने वाले भारतीय विद्रोहियों से लड़ने के लिए वास्तविक समयानुसार आसूचना को साझा करने के लिए संधि की है. भारत म्यांमार के साथ अपने संबंध को बिगाड़ने के पक्ष में कभी नहीं रहा है. म्यांमार ने भारत के राजनयिक क्षेत्र को बहुत ज्यादा आकर्षित किया है. व्यवसाय, संस्कृति एवं राजनय के मिश्रण की दृष्टि से दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध है.