मेरिट वस्तुओं को उत्कृष्ट वस्तुएं भी कहा जाता है. सरकार जिन वतुओं के उपयोग को जनहित के लिए बढ़ाना चाहती है उनको मेरिट वस्तुएं कहा जाता है. सरकार जिन वस्तुओं के उपयोग को समाज के लिए हानिकारक समझतीं हैं तथा उन पर रोक लगाती है. ऐसी वस्तुओं को गैर मेरिट वस्तुएं कहा जाता है. उदाहरण: शराब, गांजा, अफीम और अन्य ड्रग्स इत्यादि.
भारत सरकार देश के विकास के लिए लोगों से कर लेती है वहीँ दूसरी तरफ लोगों के कल्याण में वृद्धि करने के लिए इस धन को सार्वजानिक व्यय के माध्यम से खर्च भी करती है. बजट अनुमान (2018-19) के आंकड़े बताते हैं कि सरकार के कुल खर्च का 23.58% सिर्फ ब्याज भुगतान के लिए आवंटित किय गया है. वर्तमान में सरकार की आय का प्रमुख स्रोत “वस्तु एवं सेवा कर” (33 % योगदान) है इसके बाद कारपोरेशन टैक्स (27%) और आय कर की हिस्सेदारी 23% है.
आपने देखा होगा कि कुछ झूठे लोग, अशिक्षित लोगों को 3 माह में पैसा डबल करने का लालच देकर, उनका पैसा लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं. शारदा चित फण्ड धोखाधड़ी मामला इसी तरह का एक उदाहरण है. भारत में चिट फंड का रेगुलेशन चिट फंड अधिनियम, 1982 के द्वारा होता है. आइये जानते हैं कि चित फण्ड (Chit Fund)क्या होता है?
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