औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP): विस्तृत जानकारी
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO),"सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय" के अंतर्गत एक विभाग है जो कि 1950 से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) से सम्बंधित आंकड़े एकत्र और प्रकाशित करता है. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) देश के 8 कोर सेक्टर्स में एक महीने के दौरान हुए उत्पादन के उतार चढ़ाव को नापता है.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के अंतर्गत निम्न 8 क्षेत्रों के आंकड़ों को मापा जाता है. ये क्षेत्र हैं;
1. कोयला: इसका कुल भार 10.33% है.
2. कच्चा तेल: इसका कुल भार 8.98% है.
3. प्राकृतिक गैस: इसका कुल भार 6.88% है.
4. रिफाइनरी उत्पाद: इसका कुल भार 28.04% है.
5. स्टील: इसका कुल भार 17.92% है.
6. सीमेंट: इसका कुल भार 5.37% है.
7. उर्वरक: इसका कुल भार 2.63% है.
8. बिजली: इसका कुल भार 19.85% है.
जनवरी, 2018 में आठ कोर इंडस्ट्रीज का संयुक्त सूचकांक 133.1 था जो कि पिछले साल की तुलना में 6.7 प्रतिशत अधिक है. इन आठ कोर क्षेत्रों की विकास दर अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 की अवधि में 4.3% थी.
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO, निम्न 16 एजेंसियों से आंकड़े प्राप्त कर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का निर्माण करता है;
1. औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग
2. भारतीय खान ब्यूरो
3. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण
4. संयुक्त संयंत्र समिति
5. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय
6. वस्त्र आयुक्त कार्यालय
7. रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग
8. चीनी निदेशालय
9. उर्वरक विभाग
10. वनस्पति तेल और वसा निदेशालय
11. चाय बोर्ड
12. जूट आयुक्त कार्यालय
13. कोयला नियंत्रक कार्यालय
14. रेलवे बोर्ड
15. नमक आयुक्त का कार्यालय
16. कॉफी बोर्ड
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में बेस ईयर का क्या मतलब है?
1. IIP के लिए आधार वर्ष हमेशा 100 माना जाता है.
2. IIP का आधार वर्ष 2011-2012 (मई के महीने में) संशोधित किया गया था. IIP के आधार वर्ष में इसलिए परिवर्तन किया गया था ताकि इसके आंकड़े जीडीपी के नए आधार वर्ष (2011-12) के अनुरूप हों जिससे इन दोनों की गणना के समय विरोधाभासी परिणाम ना निकलें.
बेस ईयर क्या बताता है:
जैसा कि ऊपर लिखा गया है कि 2011-2012 में IIP का आधार वर्ष 100 है. अब केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO), द्वारा जारी किये गए आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2018 में IIP का मूल्य 133 था, इसका मतलब है कि 2011-2012 से 2018 तक देश के 8 प्रमुख क्षेत्रों की औद्योगिक गतिविधियों में 33% (133-100) की वृद्धि हुई है. इस प्रकार कहा जा सकता है कि IIP का आधार वर्ष यह दिखाता है कि एक निश्चित समय अवधि में देश के 8 प्रमुख क्षेत्रों ने कितनी प्रगति की है.
अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच देश के 8 प्रमुख क्षेत्रों की विकास दर इस प्रकार है;
इंडस्ट्री |
भार |
अप्रैल-जनवरी 2017-18 |
1. कोयला |
10.3335 |
1.5 |
2. कच्चा तेल |
8.9833 |
-0.7 |
3.प्राकृतिक गैस |
6.8768 |
3.5 |
4.रिफाइनरी उत्पाद |
28.0376 |
4.7 |
5. उर्वरक |
2.6276 |
-0.7 |
6. स्टील |
17.9166 |
6.4 |
7. सीमेंट |
5.3720 |
4.4 |
8. बिजली |
19.8530 |
5.4 |
समग्र सूचकांक |
100.0000 |
4.3 |
IIP की क्षेत्रीय संरचना (Sectoral Structure) निम्नानुसार है:
IIP की नयी सीरीज में 809 वस्तुओं को शामिल किया गया है जिसमे विनिर्माण क्षेत्र (manufacturing sector) में आइटम कैटेगरी के अंतर्गत 405 (item groups) वस्तुएं हैं.
इस लेख का सार यह है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP); एक अर्थव्यवस्था के लिए थर्मामीटर की तरह होता है. IIP अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों की वास्तविक तस्वीर दर्शाता है. अगर अर्थव्यवस्था के इन 8 प्रमुख क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो देश का समग्र विकास अनिवार्य रूप से होता है.