परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल देशों की सूची
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG);ऐसे परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता देशों का एक समूह है जो कि परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए उपयोग की जा सकने वाली सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी के निर्यात को नियंत्रित करके परमाणु हथियारों के निर्माण को रोकने की दिशा में काम कर रहा है.
यह संगठन चाहता है कि परमाणु सामग्री ऐसे देशों के हाथों में ना लगे जो कि उसे आतंकी संगठनों को उपलब्ध करा दें जिससे कि सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा उत्पन्न हो जाये. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की स्थापना भारत द्वारा मई 1974 में किये गए परमाणु परीक्षण के बाद की गयी थी. इसकी पहली बैठक नवंबर 1975 में हुई थी. वर्तमान में इस संगठन में 48 देश शामिल हैं और भारत 49वां सदस्य बनना चाहता है.
प्रारंभ में NSG की स्थापना के लिए 7 देशों की सरकारों ने पहल की थी. ये सरकारें थीं; कनाडा, जापान, फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका.
यदि कोई देश NSG में शामिल होना चाहता है तो उसे NPT पर हस्ताक्षर करने होते हैं. यहाँ पर उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि भारत ने अभी तक NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं लेकिन फिर भी परमाणु संपन्न देश बन गया है. यही कारण है कि कुछ देश भारत की NSG सदस्यता का विरोध कर रहे हैं.
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG); के कुल 48 सदस्यों में से 44 सदस्य भारत को इस समूह में शामिल किये जाने के पक्षधर हैं. इन देशों में कुछ बड़े नाम इस प्रकार हैं;
1. संयुक्त राज्य अमेरिका
2. यूनाइटेड किंगडम
3. रूस
4. फ्रांस
5. स्विट्ज़रलैंड
6. जापान
7. जर्मनी
8. ब्राजील
9. दक्षिण अफ्रीका
10. ऑस्ट्रेलिया
11. पोलैंड
12. साइप्रस
13. मेक्सिको
14. अर्जेंटीना
15. तुर्की
NSG में भारत की दावेदारी का विरोध करने वाले देशों के नाम इस प्रकार हैं;
1. चीन
2. न्यूज़ीलैंड
3. आयरलैंड
4. ऑस्ट्रिया
इस प्रकार NSG के 48 सदस्यों में से सिर्फ 4 देश भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं.
आइये अब जानते हैं कि NSG में कौन-कौन से देश शामिल हैं;
क्रम संख्या |
देश |
1. |
अर्जेंटीना |
2. |
ऑस्ट्रेलिया |
3. |
ऑस्ट्रिया |
4. |
बेलारूस |
5. |
बेल्जियम |
6. |
ब्राजील |
7. |
बुल्गारिया |
8. |
कनाडा |
9. |
चीन |
10. |
क्रोएशिया |
11. |
साइप्रस |
12. |
चेक गणतंत्र |
13. |
डेनमार्क |
14. |
एस्तोनिया |
15. |
फिनलैंड |
16. |
फ्रांस |
17. |
जर्मनी |
18. |
यूनान |
19. |
हंगरी |
20. |
आइसलैंड |
21. |
आयरलैंड |
22. |
इटली |
23. |
जापान |
24. |
कज़ाख़िस्तान |
25. |
कोरिया गणराज्य |
26. |
लातविया |
27. |
लिथुआनिया |
28. |
लक्समबर्ग |
29. |
माल्टा |
30. |
मेक्सिको |
31. |
नीदरलैंड |
32. |
न्यूजीलैंड |
33. |
नॉर्वे |
34. |
पोलैंड |
35. |
पुर्तगाल |
36. |
रोमानिया |
37. |
रूस |
38. |
सर्बिया |
39. |
स्लोवाकिया |
40. |
स्लोवेनिया |
41. |
दक्षिण अफ्रीका |
42. |
स्पेन |
43. |
स्वीडन |
44. |
स्विट्जरलैंड |
45. |
तुर्की |
46. |
यूक्रेन |
47. |
यूनाइटेड किंगडम |
48. |
संयुक्त राज्य अमेरिका |
चीन, NSG में भारत के प्रवेश को इसलिए रोकना चाहता है ताकि वह एशिया महाद्वीप में अपनी दादागीरी को मजबूत करके भारत के ऊपर अपनी कूटनीतिक जीत को सिद्ध कर सके. जबकि न्यूजीलैंड, आयरलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे अन्य शेष देशों ने कहा कि वे भारतीय प्रवेश का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि भारत ने गैर प्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और ऐसे देशों के हाथ में परमाणु सामग्री देना विश्व समुदाय को खतरे में डालना है.
यहाँ पर एक दिलचस्प बात बताना जरूरी है कि कज़ाखस्तान, तुर्की, बेलारूस जैसे देश NSG की सदस्यता के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों का समर्थन कर रहे हैं.
अगर भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बन जाता है; तो भारत को विश्व के परमाणु ईंधन संपन्न देशों से बड़ी मात्रा में परमाणु ईंधन खरीदने की छूट मिल जाएगी. यदि भारत को अन्य देशों से परमाणु ईंधन आयात करने की छूट मिल जाती है तो भारत इसका प्रयोग गैर परमाणु उद्येश्यों (जैसे बिजली उत्पादन इत्यादि) के लिए करेगा जिससे आगे चलकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी.
हम आशा करते हैं कि वह दिन जल्दी आएगा जब भारत NSG में शामिल होगा और दुनिया भारत को शांतिप्रिय देश के रूप में स्वीकृति देगी.