जानें कारवां पर्यटन और कारवां कैम्पिंग पार्क पॉलिसी के बारे में और कैसे ये भारत में पर्यटन को बढ़ावा दे सकती है?

COVID-19 से प्रभावित पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्य में कारवां और कारवां पार्क को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीति को मंजूरी दी है. राज्य सरकार समुद्र तटों, किलों, पर्वत श्रृंखलाओं, हिल स्टेशनों, जंगलों और विरासत स्थलों पर "कारवां पर्यटन" को बढ़ावा देने की योजना बना रही है.
कारवां पर्यटन की अवधारणा ने दुनिया भर में अपार लोकप्रियता हासिल की है. इस निति के तहत मनोरंजक वाहन या घूमने के लिए प्रयोग किए जाने वाले वाहन, टूरिस्ट वैन या मोटर घरों को उन स्थानों पर अनुमति दी जाएगी जहां स्थायी निर्माण निषिद्ध है या जहां होटल और रिसॉर्ट दुर्लभ हैं.
ऐसी जगहों पर कारवां पार्क बनाया जाएगा जहां पानी, सड़क और बिजली कनेक्शन, पर्यटक सुविधा केंद्र और एक दूसरे के बीच पार्क जैसी सुविधाएं होंगी. एक अधिकारी के अनुसार पार्क कम से कम 2.5 एकड़ भूमि पर अधिकतम 20 पार्किंग लाइन के साथ बनाया जाएगा.
'कारवां पर्यटन' नीति का क्या उद्देश्य है?
इसका उद्देश्य सुरक्षित यात्रा प्रदान करना और टूर ऑपरेटरों को प्रोत्साहित करना है. राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और अन्य आकर्षणों का आनंद लेने की पर्यटकों को अनुमति देगा, और ऐसा भी कहा जा रहा है कि पर्यटन क्षेत्र में स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
कारवां पर्यटन नीति का उद्देश्य विकास को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है ताकि
1. सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और पीपीपी मोड में कारवां पार्कों का विकास हो
2. सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और पीपीपी (PPP) मोड में कारवां हो
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आखिर कारवां क्या है?
कारवां एक अद्वितीय पर्यटन उत्पाद है, जो सर्किट / गंतव्यों में भी परिवार-उन्मुख पर्यटन को बढ़ावा देता है, जहां पर पर्याप्त होटल आवास नहीं होते हैं. यात्रा, अवकाश और आवास के उद्देश्य से उपयोग किए जा रहे विशेष रूप से निर्मित वाहनों को 'कारवां' के रूप में जाना जाता है.
कारवां पर्यटन के लिए पूर्व आवश्यक वस्तुओं में से एक है पहचान किए गए सर्किट में पर्याप्त कारवां पार्क की उपस्थिति या फिर यूं कहें कि कारवां पार्क का होना. यहीं आपको बता दें कि कारवां पार्क एक ऐसी जगह है जहां कारवां आवंटित स्थानों में रात भर रह सकते हैं, जो बुनियादी या उन्नत सुविधाएं प्रदान करते हैं.
भारत में विशाल भूमि क्षेत्र और परिदृश्य हैं और कारवां और कारवां पार्क भारत में पर्यटन के लिए एक नया पहलू जोड़ते हैं.
वर्तमान में इको, वन्यजीव, तीर्थ पर्यटन इत्यादि की मांग बढ़ रही है. इसमें दूरदराज के इलाकों, जंगलों, रेगिस्तानों और नदियों में जाना और रहना शामिल है. पर्यटन स्थलों पर पहले से ही आवास की कमी है, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में और कुछ स्थानों पर जहां स्थायी निर्माण न तो स्वीकार्य हो सकता है और न ही संभव है. ऐसे परिदृश्य में, कारवां टूरिज्म प्रभावी रूप से बढ़ती मांग को पूरा कर सकता है, जबकि यह सुनिश्चित करने के साथ-साथ क्वालिटी, स्टैण्डर्ड और सुरक्षा मानदंडों का भी पालन करता है.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कारवां पर्यटन युवाओं, परिवारों, वरिष्ठ नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों सहित बाजार क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला को आकर्षित करेगा.
आइये अब विस्तार से इस पॉलिसी के बारे में जानते हैं?
इस नीति के तहत, सरकार निजी प्लेयर्स को जंगल, किले, हिल स्टेशन और बांधों जैसे बफर ज़ोन में निजी या सरकारी भूमि पर कारवां पार्क स्थापित करने की अनुमति देगी.
कारवां पार्क महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (MTDC) के आसपास के क्षेत्र में या उनकी खुली भूमि के साथ-साथ कृषि-पर्यटन केंद्रों में स्थापित किया जा सकता है.
“यह नीति सिर्फ कारवां पर्यटन को बढ़ावा नहीं देगी, बल्कि राज्य में निजी निवेश को भी प्रोत्साहित करेगी. इसके अलावा, यह परिवार के पर्यटन को प्रोत्साहित करेगी, पर्यटकों को सुविधा देगी और राज्य में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी.
यह पॉलिसी स्टैंप ड्यूटी (Stamp duty) में छूट, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (Goods and Services Tax) के राज्य के हिस्से का रिफंड, राज्य पर्यटन नीति के तहत कारवां और कारवां पार्क पेशेवरों को दूसरों के साथ बिजली शुल्क में छूट जैसे प्रोत्साहन भी प्रदान करेगी.
एक अधिकारी के अनुसार कारवां और कारवां पार्क पेशेवरों को पर्यटन निदेशालय के माध्यम से विपणन, स्वच्छता और इसके प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाएगा.
इस नीति में यह भी कहा गया है कि जबकि कारवां पार्क और कारवां को पर्यटन निदेशालय के साथ पंजीकृत होने की आवश्यकता होगी, कारवां परिवहन आयुक्त के साथ भी इसको पंजीकृत होना चाहिए.
कार्यान्वयन और निगरानी के लिए पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव के अधीन एक राज्य स्तरीय समिति भी बनाई गई है.
तो अब आपको कारवां और कारवां पार्क पॉलिसी के बारे में ज्ञात हो गया होगा की यह भारत में टूरिज्म को बढ़ावा देगी और साथ ही पर्यटन क्षेत्र में स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी.
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