विज्ञान | तकनीक करेंट अफेयर्स
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Chandrayaan 2: नासा को मिली चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की साइट
नासा के अनुसार, चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला है. इसकी जानकारी नासा ने ट्वीट करके दी है. नासा के अनुसार विक्रम लैंडर की तस्वीर एक किलोमीटर की दूरी से ली गई है.
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भारतीय सेना ने स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया
इस मिसाइल को बंकर बस्टर मोड में उपयोग किया जाएगा. स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल चौथी पीढ़ी की मिसाइल है, जिसे हाल ही में सेना में शामिल किया गया है.
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इसरो ने रचा इतिहास, लॉन्च किया कार्टोसैट-3 सैटेलाइट, जानें इसके बारे में सबकुछ
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है. अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का 'जियोआई-1' सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है.
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मिशन गगनयान: रूस में प्रशिक्षण हेतु 12 संभावित यात्रियों को चुना गया
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है. अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा. इस मिशन पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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वॉएजर-2: सूर्य की सीमा के पार पहुंचने वाला दूसरा यान बना
इससे पहले नासा का ही वॉएजर-1 इस सीमा के पार पहुंचा था. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के शोधकर्ताओं के मुताबिक, वॉएजर-2 आइएसएम में पहुंच गया है.
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साल 1982 के बाद ओजोन में अब तक का सबसे छोटा छेद: NASA
नासा के मुताबिक, अंटार्कटिका के ऊपरी वायुमंडल में असामान्य मौसम के पैटर्न के वजह से साल 1982 में वैज्ञानिकों ने इसकी जांच शुरू कर दी थी क्योंकि ओजोन परत में छेद अपने सबसे छोटे आकार तक सिकुड़ गया है.
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भारतीय वायुसेना ने सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया
इस परीक्षण-फायरिंग का मुख्य लक्ष्य भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की क्षमता को लक्षित करने की क्षमता की जांच करना है. ब्रह्मोस मध्यम दूरी की एक ऐसी सुपरसोनिक मिसाइल है.
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नासा ने अंतरिक्ष के रहस्यमय क्षेत्र को जानने हेतु सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया
इस उपग्रह को अटलांटिक के ऊपर एक विमान से प्रक्षेपित किया गया. उपग्रह के प्रक्षेपण के पांच सेकेंड बाद उससे जुड़ा पेगासस रॉकेट प्रज्वलित हो गया जिसके बाद आइकन अपने मार्ग पर आगे बढ़ गया.
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गृह मंत्री अमित शाह द्वारा ‘ई-बीट बुक’ और ‘ई-साथी’ एप्प आरंभ किये गये
E-Beat Book, E-SAATHI App का लोकार्पण किया गया जिससे आम नागरिकों को आपातकाल में सहायता के लिये अलग – अलग नम्बर याद रखने की आवश्यकता नहीं होगी.
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इसरो और डीआरडीओ ने ‘गगनयान’ मिशन हेतु सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, डीआरडीओ की ओर से इसरो को कुछ अहम तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी. इनमें अंतरिक्ष में भोजन संबंधी तकनीक, अंतरिक्ष जाने वाले दल की सेहत पर निगरानी, सर्वाइवल किट, विकिरण मापन और संरक्षण तथा पैराशूट इत्यादि शामिल हैं.
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भारत ने हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया
इस मिसाइल का परीक्षण ओडिसा के तट पर किया गया है. यह मिसाइल परीक्षण के दौरान अपने निशाने पर सटीक वार किया. अस्त्र मिसाइल पूरी तरह से देश में बनी है.
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चंद्रयान-2: इसरो ने चांद पर खोज निकाला विक्रम लैंडर, सरफेस पर सुरक्षित दिखा
लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर अपनी निर्धारित स्थान से पांच सौ मीटर की दूरी पर दिखाई दिया है. चांद के चक्कर काट रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल तस्वीर भेजी है. इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने यह जानकारी दी है.
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चंद्रयान 2: लॉन्चिंग से लेकर अब तक की पूरी कहानी, जानें अब आगे क्या होगा?
चंद्रयान-2 के अंतिम चरण में भारत के मून लैंडर विक्रम से उस समय संपर्क टूट गया था जब वह चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहा था. इसरो के अनुसार, रात 1:37 बजे लैंडर की चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. लेकिन लगभग 2.1 किमी ऊपर संपर्क टूट गया था.
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चंद्रयान-2: विक्रम लैंडर के साथ संपर्क टूटा, इसरो के वैज्ञानिकों को डेटा का इंतज़ार
विक्रम लैंडर को रात 1:30 बजे से 2:30 बजे के बीच चांद की सतह पर उतरना था. भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की उपलब्धि को देखने और उनका हौसला बढ़ाने हेतु प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी भी बेंगलुरु में इसरो के मुख्यालय पहुँचे थे.
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चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग: जाने कब और कैसे उतरेगा चंद्रयान
चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर 35 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा. तब इसकी रफ्तार 200 मीटर प्रति सेकंड होगी.
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चंद्रयान -2 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया: जानें अब आगे क्या होगा?
इसरो के मुताबिक, यह अभियान सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर रोवर पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा. विक्रम लैंडर 07 सितंबर को 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा.
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Chandrayaan-2: चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद से 31 अगस्त तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा. इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव किया जाएगा. चंद्रयान-2 को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार बार कक्षा बदली जाएगी.
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चंद्रमा की कक्षा में 20 अगस्त को पहुंचेगा चंद्रयान-2: इसरो
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 अभी तक तय कार्यक्रम के अनुसार काम कर रहा है. उसके सभी उपकरण सही तरीके से काम कर रहे हैं. चंद्रयान-2 के लैंडर एयरक्राफ्ट का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर ही विक्रम रखा गया है.
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Chandrayaan-2: चांद पर पहुंचने में लगेंगे 48 दिन
चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त 2019 तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद 13 अगस्त से 19 अगस्त 2019 तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा.
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Chandrayaan-2: भारत ने रचा इतिहास, इसरो ने सफलतापूर्वक लाँन्च किया चंद्रयान-2
मिशन का सबसे पहला उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित उतरना और फिर सतह पर रोबोट रोवर संचालित करना है. इससे पहले 15 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग करने वाला था, लेकिन क्रॉयोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण इसे 22 जुलाई तक के लिए रोक दिया गया था.
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